1857 ई. के विद्रोह के कारणों

 

प्रश्न : 1857 के विद्रोह का स्वरूप का वर्णन करें।

उत्तर : लार्ड डलहौजी की साम्राज्यवादी नीति के कारण भारतीय देशी राज्यों में एक बेचैनी एवं असन्तोष व्याप्त था। बेकारी की समस्या दिनोंदिन विकराल होती जा रही थी। सती-प्रथा, बाल-विवाह ,निषेध, विधवा-विवाह तथा सम्पत्ति एवं विवाह-सम्बन्धी अन्य सामाजिक कानूनों को हिन्दू जनता ने अपने धर्म एवं सामाजिक जीवन में एक विदेशी शासन हस्तक्षेप ही समझा था।

इन परिस्थितियों में तरह-तरह की अफवाहों और भविष्यवाणियों --- सिपाहियों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले कारतूस के पालीस में गाय और सूअर की चर्बी, आटे में गाय और सूअर की हड्डियों का चूरा मिलाने की बात और यह भविष्यवाणी कि प्लासी के युद्ध के 100 साल बाद अर्थात 1857 में अंग्रेजी राज का खात्मा, देश के विभिन्‍न भागों में रहस्यमय चपातियों का वितरण आदि ने लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध उकसाया।

1857 ई. विद्रोह से पूर्व भारतीय सैनिकों की अंग्रेजी शासन के विरूद्ध अनेक शिकायतें थीं। ऐसे में नयी इनफील्ड राइफल का कारतूस और मंगल पाण्डे द्वारा उसको इस्तेमाल करने से इन्कार करना सिपाही

विद्रोह का तात्कालिक कारण बना और अत्यन्त शीघ्र ही इसने 1857 ई. के विद्रोह का रूप ले लिया |

किसान ताल्लुकदार और जमींदार सभी उसमें शामिल हो गये।

1857 ईं. के विद्रोह को अँगरेजों या पाश्चात्य इतिहासकारों ने सिपाही विद्रोह मात्रा कहा है। उनकी दृष्टि में यह विद्रोह कुछ असंतुष्ट और सिरफिरे फौजी जवानों का था।

किन्तु अधिकांश इतिहासकारों का मत है कि यह विंद्रोह भारत से ब्रिटिश राज को उखाड़ फेंकने के लिए हिन्दुओं और मुसलमानों के द्वारा सम्मिलित रूप से रचा गया प्रयास था। वी. डी. सावरकर जैसे क्रांतिकारी वीर और राष्ट्रवादी विचारधारा के पोषक इतिहासकारों ने इसे अँगरेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और सुनियोजित राष्ट्रीय आंदोलन कहा है।

 

प्रशन : 1857 ई. के विद्रोह के कारणों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।

अथवा, 1857 ई. के विद्रोह के क्या कारण थे? किन्हीं पाँच का वर्णन करें।

उत्तर :

1.राजनीतिक कारण : लार्ड डलहौजी की साम्राज्यवादी नीति के कारण भारतीय देशी राज्यों में एक बेचैनी एवं असन्‍्तोष व्याप्त था। हड़प की नीति, गोंद-निषेध की नीति तथा कुशासन की नीति के कारण विभिन्‍न देशी राज्यों को अँगरेजी साम्राज्य में सम्मिलित किया गया था। इस कारण जनमानस विस्फोट की स्थिति में था।

2. आर्थिक कारण : ईस्ट इंडिया कम्पनी सरकार की कृषि की ओर से उदासीनता तथा वाणिज्य-व्यापार के क्षेत्र में भेंद-भाव की नीति के कारण भारतीय उद्योग-धंधों का क्रमश: अन्त हो गया था। फलस्वरूप बेकारी की समस्या दिनोंदिन विकराल॑ होती जा रही थी।

3. सामाजिक एवं धार्मिक कारण : कम्पनी सरकार ने जनमत तैयार किये बिना जो विभिन्‍न सामाजिक सुधार के कार्य किये थे, उस कारण सामाजिक क्षेत्र में पर्याप्त असन्तोष था। भारत की जनता सदा धर्मपरायण रही है। सती-प्रथा, बाल-विवाह निषेध, विधवा-विवाह तथा सम्पत्ति एवं

विवाह-सम्बन्धी अन्य सामाजिक कानूनों को हिन्दू जनता ने अपने धर्म एवं सामाजिक जीवन में एक विदेशी शासन हस्तक्षेप ही समझा था |

4. सैनिक कारण : सैनिकों में भेद- भाव : अँगरेजों एवं भारतीय सैनिकों के बीच पद, पदोन्नति एवं भत्ता आदि के सम्बन्ध में काफी भेदभाव की नीति अपनायी जाती थी।

5. तात्कालिक कारण ( धार्मिक कारण ) : एक नये कारतूस का प्रयोग अँगरेजों ने सैनिकों को करने को कहा। नयी किस्म की कारतूस को दाँत से काटकर भरना पड़ता था। यह अफवाह फैल गयी कि गाय और सूअर की चर्बी इसमें मिली हुईं है। अतः हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों सैनिकों ने विद्रोह कर दिया।

प्रश्न: 1857 की क्रांति के तात्कालिक कारण बताइए?

 

उत्तर :

यूरोपीय सैनिकों की तुलना में बहुत कम वेतन मिलने के कारण भारतीय सैनिक असंतुष्ट थे। भारतीय सैनिकों को कोई पदोन्नति भी नहीं दी जाती थी। बिना किसी अतिरिक्त वेतन और भत्ते के. उन्हें भारत से बाहर भी मोर्चे पर जाने के लिए विवश किया जा रहा था। भारतीय सैनिक इनका विरोध कर रहे थे।

सैनिक अपने धर्मों पर विदेशी प्रहार को ले कर भी सशंकित थे। उन्हें लग रहा था कि सेना में पादरियों की नियुक्ति उनके धर्म परिवर्त्तन की नीयत की गयी थी। सिक्ख और मुसलमान सैनिकों को बलात्‌ दाढ़ी कटाने के लिए विवश किया जाता था। यही कारण था कि भारतीय सैनिक सम्मिलित रूप से क्षुब्ध थे

देशी रियासतों का बलात्‌ विलयन कम्पनी में कर दिया गया था। अत: इन रियासतों के सैनिक बेकार  हो गये थे

इन परिस्थितियों में सिपाही विद्रोह का तात्कालिक कारण बना - नयी इनफील्ड राइफल। यह है अफवांह फैली कि इसके कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी लगी हुई है। कारतूस को दाँत से काटना पड़ता था। सैनिकों ने इसके प्रयोग करने से इनकार कर दिया क्‍योंकि इससे उनका धर्म नष्ट होता था। गाय की चर्बी हिन्दुओं के लिए और सुअर की चर्बी मुसलमानों के लिए धर्म वर्जित वस्तु थी । लेकिन जब सैनिकों को इसके लिए विवश किया जाने लगा तो उन्होंने विद्रोह कर दिया। कलकता स्थित बरेक्पुर छावनी से इस विद्रोह का आरम्भ हुआ। इस विद्रोह का अगुआ मंगल पाण्डेय था। अचानक इस सैनिक विद्रोह ने व्यापक रूप धारण कर लिया। विद्रोह का स्वरूप सैनिक से असैनिक होता गया जिसमें राजा, जमींदार, तालुकेदार और जनसाधारण भी शामिल हो गये।

प्रश्न : 1857 की क्रांति के दो तात्कालिक कारण बताइए?

उत्तर : यूरोपीय सैनिकों एवं भारतीय सैनिकों के बीच भेदभाव के कारण सैनिकों का असंतोष, और

नयी इनफील्ड राइफल के बारे में यह अफवाह कि इसके कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी लगी हुई है।

प्रश्न : 1857 ई. विद्रोह से पूर्व भारतीय सैनिकों की अंग्रेजी शासन के विरूद्ध पाँच शिकायतों का वर्णन कीजिए।

अथवा, 1857 ई के विद्रोह के सैनिक कारणों का वर्णन करें

उत्तरः 1857 ई. के विद्रोह से पूर्व भारतीय सैनिकों की अंग्रेजी शासन के विरुद्ध शिकायत निम्नलिखित थीं

1. सबसे महत्त्वपूर्ण शिकायत गाय और सूअर की चर्बी से लिपटे कारतुसो को दांतों से खीचने के लिए मजबूर करना था।

2. अंग्रेज अफसर अपने आपको श्रेष्ठतर मानते थे और सिपाहियों को कमतर नस्ल का मानते थे उनसे गाली-गलौज और शारीरिक हिंसा सामान्य बात थी। अफसरों और सिपाहियों के मध्य संदेह का

वातावरण था।

(3) एक समान कार्य के लिए अँगरेजी सैनिकों की अपेक्षा उन्हें बहुत कम वेतन दिया जाता था तथा प्रोन्नति के अवसर नहीं थे।

(4) कैनिंग ने एक कानून बनाया इसके अनुसार आवश्यकता पड़ने पर समुद्र पार जाकर विदेशों में सेवा करना भारतीय सैनिकों के लिए अनिवार्य कर दिया गया।

(5) सिपाहियों को छुट्टियाँ प्रदान करने के बारे में भी शिकायतें थीं जिससे गाँवों में असंतोष में वृद्धि हो रही थी।

प्रश्न : 1857 के विद्रोह के धार्मिक कारणों का उल्लेख करें।

अथवा, 1857 के घटनाक्रम को निर्धारित करने में धार्मिक विश्वासों की किस हद तक भूमिका थी?

उत्तर : प्रारम्भ से ही धार्मिक विश्वासों ने 1857 ई. के विद्रोह के महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

वस्तुतः 857 के विद्रोह के कारणों में धार्मिक कारण एक बहुत बड़ा कारक था।

(1) पश्चिमी सभ्यता के प्रचार के प्रयास एवं भारत के सामाजिक एवं धार्मिक जीवन में किये गये सुधारों ने भारतीयों में गम्भीर भ्रम पैदा कर दिया। उन्हें आशंका हो गयी कि अंग्रेज उनके पुराने धर्म एवं रीति-रिवाजों को समाप्त कर उन्हें ईसाई बनाना चाहते हैं।

(ii) बहावी सम्प्रदाय द्वारा संचालित आन्दोलनों ने भी अंग्रेजों के विरुद्ध मुसलमानों को बहकाया। ईसाई धर्म प्रचार के द्वारा हिन्दू एवं इस्लाम धर्म की आलोचना ने भी दोनों समुदायों को उत्तेजित कर दिया।

(i) कतिपय ज्योतिषियों ने यह भविष्यवाणी की कि |757 ई. के सौ साल बाद अर्थात्‌ 1857 ई. में भारत से अंग्रेजी राज समाप्त हो जायेगा। ।

(iv) कई स्थानों पर विद्रोह का संदेश धार्मिक लोगों द्वारा भी फैलांया गया।

(v) कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी कौ घटना ने स्थिति को विस्फोटक बना दिया। इससे हिन्दू और मुसलमान सैनिक भड़क उठे। यही इस विदोह का तात्कालिक कारण बन गया।


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